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शनिवार, 11 अगस्त 2012

दीवारें

मेरे घर की दीवारें
बदरंग न   हो कभी
बदला है रंग इनका
मेरे सुर के साथ ..

खामोश हैं मुझसे ज्यादा
कभी बोल जाती हैं
ना पूछो फिर भी ...

प्रतिबिम्ब मेरा प्रतिमान मेरा
प्रतिरूप मेरा है...
मेरे घर की दीवारें ...!!!

18 टिप्‍पणियां:

  1. वाह: बहुत सुन्दर...शुभकामनाएं आशा..

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  2. प्रतिबिम्ब मेरा प्रतिमान मेरा
    प्रतिरूप मेरा है...
    मेरे घर की दीवारें ...!!!
    दीवारें बोलतीं हैं मेरे घर की ,सुनतीं हैं तेरे घर की ....अच्छा रूपक है मेरे घर की दीवारें चुप रहतीं हैं ....कृपया यहाँ भी तवज्जो दें -
    शनिवार, 11 अगस्त 2012
    कंधों , बाजू और हाथों की तकलीफों के लिए भी है का -इरो -प्रेक्टिक

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  3. हां इन दीवारों ने थाम रखी है घर की छत भी....मेरी तरह.

    अनु

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  4. बहुत सुन्दर भाव संजोये है
    कोमल भाव युक्त रचना...
    :-) :-)

    जवाब देंहटाएं
  5. हमारी ही तरह हमारे घर को सहेजती दीवारें..... गहन अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रतिबिम्ब मेरा प्रतिमान मेरा
    प्रतिरूप मेरा है...
    मेरे घर की दीवारें ...!!!

    waah..Awesome !

    .

    जवाब देंहटाएं
  7. जहाँ प्रेम आस्था और अपना सब कुछ लगा होता है वो बदरंग नहीं होती कभी ... भीने एहसास ...

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  8. वाह! बहुत सुन्दर.
    शानदार भावाभिव्यक्ति.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा,आशा जी.

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  9. बहुत सुन्दर.....बहुत दिनों बाद आई आपकी कोई पोस्ट.....जज़्बात पर भी आयें।

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  10. बेहद सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति ...शुभ कामनाएं आशा जी

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