फ़ॉलोअर

सोमवार, 28 मई 2012

मैं और मेरा ...

मैं और मेरा संसार 
अपूर्ण मेरी तरह 
किस्म-किस्म के कायदे 
तरह तरह की सीमायें 

घेरों का शोर 
टूटे तो तकलीफ 
न टूटे तो 
दम घुटता है ...

मैं और मेरा प्यार 
मेरी तरह निर्लज्ज 
पल -पल बिखरता 
क्षण-क्षण बंधता 

कह दूं तो 
फिर  तमाशा
छुपाऊ तो 
दम  तोड़ता है...!!!
 

शुक्रवार, 4 मई 2012

...???

स्वयं से जोड़ा 
कुछ कुरेदा, कुछ तराशा 
फिर बदली है क्यूँ?
मेरी ही अनुकृति 

संशय है 
पथ ये तो ना था 
राह बदली है..?
या बदली  
मेरी ही प्रकृति 

अबोला समझ लिया 
शब्दश: ...........पर 
न स्वीकार सकी 
मौन स्वीकृति 

स्तब्धता लिए 
निशब्द हूँ 
क्यूँ ...?
निरंतर बदलती है 
तुम्हारी प्रवृति ...!!!