निश्छल है
अविरल है
अनवरत है ये
तुम्हारे लिए.
खामोश है
स्पंदन लिए
बह जाता
धार लिए
सम्मलित है इन शब्दों में
तुम्हारे लिए..
साक्षात्कार है ये
मेरा, मेरे मन से
मौन है ये
सुन कर तुम्हें
दर-ब-दर बढ़ता जाता
तुम्हारे लिए..
पारितोष है मेरा
निशब्द मुस्कराहट तुम्हारी
जाने- अनजाने तैर आती है जो
सिर्फ मेरे लिए...!!
अविरल है
अनवरत है ये
तुम्हारे लिए.
खामोश है
स्पंदन लिए
बह जाता
धार लिए
सम्मलित है इन शब्दों में
तुम्हारे लिए..
साक्षात्कार है ये
मेरा, मेरे मन से
मौन है ये
सुन कर तुम्हें
दर-ब-दर बढ़ता जाता
तुम्हारे लिए..
पारितोष है मेरा
निशब्द मुस्कराहट तुम्हारी
जाने- अनजाने तैर आती है जो
सिर्फ मेरे लिए...!!