कोई तो
सुझा दो
जिंदगी
के
चार रंग
जो दो
उसके हों
दो
मेरे.....!
शब्द ने शब्द जोड़े.. शब्द से शब्द बिखरे.. शब्द -शब्द ने ढूंढें अक्षर.. शब्द- शब्द फिर, शब्दश: खामोश हुए..!
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शनिवार, 17 दिसंबर 2016
शुक्रवार, 9 दिसंबर 2016
बात
उफान ,तिलिस्म,
जिद ,अहम
सब अनवरत
फिर
धुआ ....!
मौन , बातें
हंसी ,आँसू
सब मुझसा
फिर
खत्म....!!
सांसे,सन्नाटा
शोर, खामोशी
सब तुझसा
फिर
दर्द ....!!!!
शुक्रवार, 23 सितंबर 2016
शुक्रवार, 26 अगस्त 2016
मेरा प्रश्न
कई
बार
सुना है
एक
शब्द
"संवदेनहीन"
क्या
हर
बात
का
जबाब
देकर
मैं
"संवदेनशील "
बन
जाऊगीं..???
मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016
मौन
हाँ...सुन लिया था
पर
प्रत्युतर मेरा
मौन
शिकायतें लाज़मी थी
पर
तर्पण मेरा
मौन
सन्नाटो को टूटना ही था
पर
अभिव्यक्ति मेरी
मौन
मुखौटे
सारे रंग लिए
पर
आवरण मेरा
मौन ...!
शुक्रवार, 29 जनवरी 2016
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