शब्द ने शब्द जोड़े.. शब्द से शब्द बिखरे.. शब्द -शब्द ने ढूंढें अक्षर.. शब्द- शब्द फिर, शब्दश: खामोश हुए..!
याद है अब तक वो बचपन में पूजा जाना वो पैर धुलना माथे पर टीका चुनर इस घर से उस घर अपने सिक्के सँभालते मन थमते नही थमता था
कितना अजीब है अर्थ समझ आते गए उम्र के साथ साथ और ह्रदय गहराता गया ....!!!
कुछ जला बुझा फिर से मेरे भीतर सुर्ख हुआ... पर खाक ना हुआ..!!!