खाक न होना इंसान के जीवट और हौसले को अभिव्यक्त करता है। इंसान हजारों भले-बुरे प्रसंगों से गुजरता है वहां हारना नहीं और न ही राख होना। आशा जी आपकी केवल दो पंक्तिया मानो लाखों टन कोयले के भीतर से हीरे को खोजने जैसा है। अति सुंदर। drvtshinde.biogspot.com
प्रत्युतर स्वरूप कुछ लिखा कुछ मिटाया पता नही चला। पर मैं समझता कविता की तरह आशा जी आपके मन में न॓वीन काव्य पंक्तियां उमड रही होंगी। लिखते रहें। drvtshinde.biogspot.com
कुछ प्रश्न यहाँ हिलते हैं पत्तों से ...
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRecent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
आज की ब्लॉग बुलेटिन क्यों 'ठीक है' न !? - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन.....भाव.
जवाब देंहटाएंटीसती प्रस्तुति ...पर एफ्फेक्टिव
जवाब देंहटाएंभीतक का, कुछ जलता रहे तो आशा बनी रहती है ...
जवाब देंहटाएंदमदार ....
बेहतरीन प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंGahre bhav .......lajbab sher ....aabhar Asha ji
जवाब देंहटाएंबढ़िया बिम्ब रूप और भाव अर्थपूर्ण व्यंजना .
जवाब देंहटाएंगहन अनुभूतियों को सहजता से
व्यक्त किया है आपने अपनी रचना में
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग jyoti-khare.blogspotin
में भी सम्मलित हों ख़ुशी होगी
वाह!
जवाब देंहटाएंवाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
जवाब देंहटाएंlajawab-**
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर..
जवाब देंहटाएंखाक न होना इंसान के जीवट और हौसले को अभिव्यक्त करता है। इंसान हजारों भले-बुरे प्रसंगों से गुजरता है वहां हारना नहीं और न ही राख होना। आशा जी आपकी केवल दो पंक्तिया मानो लाखों टन कोयले के भीतर से हीरे को खोजने जैसा है। अति सुंदर।
जवाब देंहटाएंdrvtshinde.biogspot.com
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हटाएंप्रत्युतर स्वरूप कुछ लिखा कुछ मिटाया पता नही चला। पर मैं समझता कविता की तरह आशा जी आपके मन में न॓वीन काव्य पंक्तियां उमड रही होंगी। लिखते रहें।
हटाएंdrvtshinde.biogspot.com
बेहद उम्दा
जवाब देंहटाएंनवरात्रि और नवसंवत्सर की अनेकानेक शुभकामनाएँ.
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