शब्द ने शब्द जोड़े.. शब्द से शब्द बिखरे.. शब्द -शब्द ने ढूंढें अक्षर.. शब्द- शब्द फिर, शब्दश: खामोश हुए..!
सुन्दर प्रस्तुति आदरेया |शुभकामनायें-
पृकृति का ऐसा ही नियम है, बहुत सुंदर.रामराम.
बहुत बढिया।
फिर कहाँ कम हुआ और बढ़ नहीं गई......एक बार और :-(
वो तो नहीं बदलेंगे अपनी अदा ... खुदा ने काम किया ये अच्छा हुवा ...
छोटी किंतु सारगर्भित
सुन्दर अभिव्यक्ति | बधाई
वाह बहुत खूब ....!
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कमाल... शुभकामनाएँ.
बहुत खूब ...!!
बार-बार वही पुकार, चीत्कार .... कोई रोक न कोई सुधार
wah kya kahane .....bahut hi khoobsoorat rachana ....badhai .
बहुत खूब ..
नेह की छांव में कुछ देर रुक कर प्रीत में मेरे भीगकर तो देखो--------वाह प्रेम का महीन अहसाससुंदर रचनाबधाईhttp://jyoti-khare.blogspot.in/-------मेंसम्मलित हों
लाजवाब ! सुन्दर पोस्ट लिखी आपने | पढ़ने पर आनंद की अनुभूति हुई | आभार | कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें | Tamasha-E-ZindagiTamashaezindagi FB Page
सुन्दर प्रस्तुति आदरेया |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
पृकृति का ऐसा ही नियम है, बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत बढिया।
जवाब देंहटाएंफिर कहाँ कम हुआ और बढ़ नहीं गई......एक बार और :-(
जवाब देंहटाएंवो तो नहीं बदलेंगे अपनी अदा ... खुदा ने काम किया ये अच्छा हुवा ...
जवाब देंहटाएंछोटी किंतु सारगर्भित
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जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ....!
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जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...!!
जवाब देंहटाएंबार-बार वही पुकार, चीत्कार .... कोई रोक न कोई सुधार
जवाब देंहटाएंwah kya kahane .....bahut hi khoobsoorat rachana ....badhai .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंनेह की छांव में कुछ देर रुक कर
जवाब देंहटाएंप्रीत में मेरे भीगकर तो देखो--------
वाह प्रेम का महीन अहसास
सुंदर रचना
बधाई
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