कुछ संवाद होते हैं
मुखोटों से अभिप्रेरित
और कुछ
किरदारों में रचे-बसे
कुछ धीमे -धीमे तो
कुछ बेसुरे
अंतहीन,अर्थहीन ...
कुछ प्रस्तुति
मेरे किरदार की भी है
स्पष्ट, अखंड , विस्तृत ...
पर है सवाद ही ना
वही दोहराव , वही शब्द
और हाँ ........
एक संवाद तुमसे भी है
निरंतर ......मूक और अदृश्य ....!!!
और हाँ ........
जवाब देंहटाएंएक संवाद तुमसे भी है
निरंतर ......मूक और अदृश्य ...उम्दा प्रस्तुति ,,,,
recent post: गुलामी का असर,,,
सुन्दर प्रस्तुति आदरेया |
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (26-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
और हाँ ........
जवाब देंहटाएंएक संवाद तुमसे भी है
निरंतर ......मूक और अदृश्य ....!!!
संवाद आवश्यक है फिर चाहें मूक ही हो. सार्थक प्रस्तुति.
आपको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनायें.
और हाँ ........
जवाब देंहटाएंएक संवाद तुमसे भी है
निरंतर ......मूक और अदृश्य ....!!!
मूक ही सही पर संवाद बना रहने चाहिए ...है न ...:)
अति सुन्दर ,भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
जवाब देंहटाएंतुमसे भी है मूक संवाद......अत्यन्त प्रभावी।
जवाब देंहटाएंमूक संवाद ज्यादा प्रभावी होता... सुन्दर रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंऔर हाँ ........
एक संवाद तुमसे भी है
निरंतर ......मूक और अदृश्य ..
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं