शब्द ने शब्द जोड़े.. शब्द से शब्द बिखरे.. शब्द -शब्द ने ढूंढें अक्षर.. शब्द- शब्द फिर, शब्दश: खामोश हुए..!
मूक वार्तालाप हाँ ....ना .. इन दो में ही तमाम ...बातें शून्य ....! निर्णय भी शून्य ...
हर पंक्ति सच्चाई से लबरेज़....ऐसा क्यूँ होता है मगर ......
जिन्दगी की आपाधापी में व्यस्तता के कारण आपके ब्लॉग पर काफी दिनों बाद आया। माफी चाहूंगा।इस उत्कृष्ट रचना के लिये आभार!!
बहुत सशक्त भाव.रामराम.
सशक्त भाव.उत्कृष्ट रचना के लिये बधाई!recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
मन के भावों को सशक्त रूप में लिखा है ॥
Ati prbavi rachna..
बेहतरीन...:-)
सच है शून्य में ही सब कुछ समा जाता है ... मन के भावों को दिशा दि है आपने ...
vikram7 ने आपकी पोस्ट " "शब्द" " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:Ati prbavi rachna..
मूक वार्तालाप हाँ ....ना ..इन दो में हीतमाम ...बातेंशून्य ....!सशक्त प्रस्तुति. अनुपम भाव.लोहड़ी, पोंगल, मकर संक्रांति और बिहू की बधाइयाँ.
पहला वाला बहुत उम्दा.........वक़्त मिले तो जज़्बात पर भी आयें ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
बढ़िया रचना।
kya khoob likha h!! :)
मूक वार्तालाप
जवाब देंहटाएंहाँ ....ना ..
इन दो में ही
तमाम ...बातें
शून्य ....!
निर्णय भी शून्य ...
हर पंक्ति सच्चाई से लबरेज़....ऐसा क्यूँ होता है मगर ......
जवाब देंहटाएंजिन्दगी की आपाधापी में व्यस्तता के कारण आपके ब्लॉग पर काफी दिनों बाद आया। माफी चाहूंगा।
जवाब देंहटाएंइस उत्कृष्ट रचना के लिये आभार!!
बहुत सशक्त भाव.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सशक्त भाव.उत्कृष्ट रचना के लिये बधाई!
जवाब देंहटाएंrecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
मन के भावों को सशक्त रूप में लिखा है ॥
जवाब देंहटाएंAti prbavi rachna..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...
जवाब देंहटाएं:-)
सच है शून्य में ही सब कुछ समा जाता है ...
जवाब देंहटाएंमन के भावों को दिशा दि है आपने ...
vikram7 ने आपकी पोस्ट " "शब्द" " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंAti prbavi rachna..
मूक वार्तालाप
जवाब देंहटाएंहाँ ....ना ..
इन दो में ही
तमाम ...बातें
शून्य ....!
सशक्त प्रस्तुति. अनुपम भाव.
लोहड़ी, पोंगल, मकर संक्रांति और बिहू की बधाइयाँ.
पहला वाला बहुत उम्दा.........वक़्त मिले तो जज़्बात पर भी आयें ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना।
जवाब देंहटाएंkya khoob likha h!! :)
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