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गुरुवार, 24 जनवरी 2013

संवाद

 
कुछ संवाद होते हैं
मुखोटों से अभिप्रेरित   
और  कुछ
किरदारों में रचे-बसे

कुछ धीमे -धीमे तो
कुछ बेसुरे
अंतहीन,अर्थहीन ...

कुछ  प्रस्तुति
 मेरे  किरदार की भी है
स्पष्ट, अखंड , विस्तृत ...
पर है सवाद ही ना
वही दोहराव , वही शब्द


और हाँ ........
एक संवाद तुमसे भी है
 निरंतर ......मूक और अदृश्य ....!!!

11 टिप्‍पणियां:

  1. और हाँ ........
    एक संवाद तुमसे भी है
    निरंतर ......मूक और अदृश्य ...उम्दा प्रस्तुति ,,,,

    recent post: गुलामी का असर,,,

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (26-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

    जवाब देंहटाएं
  3. और हाँ ........
    एक संवाद तुमसे भी है
    निरंतर ......मूक और अदृश्य ....!!!

    संवाद आवश्यक है फिर चाहें मूक ही हो. सार्थक प्रस्तुति.

    आपको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनायें.

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  4. और हाँ ........
    एक संवाद तुमसे भी है
    निरंतर ......मूक और अदृश्य ....!!!
    मूक ही सही पर संवाद बना रहने चाहिए ...है न ...:)

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    जवाब देंहटाएं
  6. तुमसे भी है मूक संवाद......अत्‍यन्‍त प्रभावी।

    जवाब देंहटाएं
  7. मूक संवाद ज्यादा प्रभावी होता... सुन्दर रचना, बधाई.

    जवाब देंहटाएं

  8. और हाँ ........
    एक संवाद तुमसे भी है
    निरंतर ......मूक और अदृश्य ..

    जवाब देंहटाएं