मेरी शाख मुझसे
कहती है
क्या मेरा वजूद तुझसे है??
यदि हाँ .. तो
रंग क्यूँ है फीका ...
मेरी जड़े टिकाये मुझे
अदृश्य रह कर भी
संभाले अलसाए
अस्तित्व को ....
और मैं
मुझसे ना शाख को
समझाया जा सका
ना जड़ें फैलाई
जा सकी ...
कहती है
क्या मेरा वजूद तुझसे है??
यदि हाँ .. तो
रंग क्यूँ है फीका ...
मेरी जड़े टिकाये मुझे
अदृश्य रह कर भी
संभाले अलसाए
अस्तित्व को ....
और मैं
मुझसे ना शाख को
समझाया जा सका
ना जड़ें फैलाई
जा सकी ...
मेरी जड़े टिकाये मुझे
जवाब देंहटाएंअदृश्य रह कर भी
संभाले अलसाए
अस्तित्व को ....
बहुत गहन और उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ...आशा जी ...!!
बहुत ही अच्छी कविता |
जवाब देंहटाएंवहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंमेरी शाख मुझसे
जवाब देंहटाएंकहती है
क्या मेरा वजूद तुझसे है??
यदि हाँ .. तो
रंग क्यूँ है फीका ...
बहुत सुंदर और गंभीर सवाल लिये हुए कविता पसंद आई.
बहुत बदिया और उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ...रचना अच्छी लगी,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: तेरी फितरत के लोग,
आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ९/१०/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी
जवाब देंहटाएंऔर मैं
जवाब देंहटाएंमुझसे ना शाख को
समझाया जा सका
ना जड़ें फैलाई
जा सकी ... अदभुत अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर और गहन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंजीवन के द्वंद्व को बेहतर शब्द दिए हैं ......जीवन एक अबूझ पहेली है शाख या जड़ ....लेकिन यह तो सच है कि जड़ के बिना किसी शाख का अस्तित्व नहीं होता .....!
जवाब देंहटाएंयही तो उलझन है !
जवाब देंहटाएंमेरी शाख मुझसे
जवाब देंहटाएंकहती है
क्या मेरा वजूद तुझसे है??
यदि हाँ .. तो
रंग क्यूँ है फीका ...
गहन भाव लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
सुन्दर गहन भावमय अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंआभार,आशा जी
मेरी शाख मुझसे
जवाब देंहटाएंकहती है
क्या मेरा वजूद तुझसे है??
यदि हाँ .. तो
रंग क्यूँ है फीका ...बहुत सुंदर और गंभीर सवाल सवाल करती रचना.......
जीवन - द्वंद्व को बखूबी शब्दों में ढाला है आपने ...यही तो जिंदगी है कितना कुछ न कर पाने के कसक रह ही जाती हैं ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंये अन्दर कितना कुछ चलता है...:)
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