सुन्दर. जलनेवाला ही जानता है जलने और पुनः बुझने का आनंद. एक दूसरा नज़रिया देखने का यह भी है की जीवन अगर जलना हो तो बुझना उससे मुक्ति है परमानंद के लिए. सुन्दर कृति.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...! -- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (30-11-2013) को "सहमा-सहमा हर इक चेहरा" : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1447 में "मयंक का कोना" पर भी होगी! -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर. जलनेवाला ही जानता है जलने और पुनः बुझने का आनंद. एक दूसरा नज़रिया देखने का यह भी है की जीवन अगर जलना हो तो बुझना उससे मुक्ति है परमानंद के लिए. सुन्दर कृति.
जवाब देंहटाएंयक़ीनन
हटाएंबहुत सुंदर उत्कृष्ट रचना !!!
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नई पोस्ट-: चुनाव आया...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (30-11-2013) को "सहमा-सहमा हर इक चेहरा" : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1447 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Khoob Likha Hai....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन !!!
जवाब देंहटाएंजलने और बुझने के इसी क्रम में जीवन चलता जाता है |
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंकुछ कर के जाने का एहसास साथ हो तो उम्र भर का सकून मिल जाता है ...
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति ...
वाह...उत्तम...इस प्रस्तुति के लिये आप को बहुत बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
सार्थक प्रस्तुति...
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