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मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

सार

ये पंक्तिया काफी प्रभावित करती है ....

7 टिप्‍पणियां:

  1. कितनी गहराई लिए है ये रचना ...
    संवेदनशील ...

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  2. शब्द को पकड़ें अगर तो अर्थ प्रायः छूट जाता है.संधि कम, विग्रह अधिक हैं जिंदगी के व्याकरण में....पता नहीं आप इस टिपण्णी को किस अर्थ में लें किन्तु चमोली जैसे दूरस्थ क्षेत्र में रहकर शब्दों का ऐसा ताना बाना बुनना,छंदों -लयों की इतनी बारीक बुनावट ,आश्चर्य से भरकर एक सुखद अनुभूति करा गयी मुझको.मैदानों में रहकर पहाड़ों की योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाने वालों के लिए आपका एक उत्तर हैं.अमूमन कुंडली में मंगल पर शुक्र का प्रभाव ऐसा हुनर देता है.....खुदा करे जोर ए कलम और भी ज्यादा..

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