शब्द ने शब्द जोड़े.. शब्द से शब्द बिखरे.. शब्द -शब्द ने ढूंढें अक्षर.. शब्द- शब्द फिर, शब्दश: खामोश हुए..!
हाशिये छोड़ ..कतार के आखिर में मै शोर और संवाद दोनों खत्म मुझतक
हर ओर भीड़..उससे निकलती हंसी छनी छनी सिर्फ गुनगुनी मुस्कान मुझतक
बेशक आधे अधूरे हैं पर ...कभी तो कैसे तो पहुंचे शब्द मेरे तुझ तक ...!!ं
खुबसूरत भावमय प्रस्तुति.आभार.
बहुत सुंदर रचना..
शब्द दूओसरे तक पहुँच कर ही अर्थ लेते हैं ... बहुत खूब ...
बहुत सुन्दर और प्रभावपूर्ण रचनामन को छूती हुईउत्कृष्ट प्रस्तुतिआग्रह है----और एक दिन
सुन्दर ..सकारात्मक विचार .....
बहुत सुन्दर ..
भावमय....
भावनाओं को बखूबी लिखा है
काफी दिनों बाद आना हुआ इसके लिए माफ़ी चाहूँगा । बहुत बढ़िया लगी पोस्ट |
देखन में छोटा - अरथ गंभीर !
भावपूर्ण रचना, बधाई.
आधे अधूरे शब्द भी बहुत कुछ कह जाते हैं।
खुबसूरत भावमय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआभार.
बहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंशब्द दूओसरे तक पहुँच कर ही अर्थ लेते हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
बहुत सुन्दर और प्रभावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंमन को छूती हुई
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है----
और एक दिन
सुन्दर ..सकारात्मक विचार .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंभावमय....
जवाब देंहटाएंभावनाओं को बखूबी लिखा है
जवाब देंहटाएंकाफी दिनों बाद आना हुआ इसके लिए माफ़ी चाहूँगा । बहुत बढ़िया लगी पोस्ट |
जवाब देंहटाएंदेखन में छोटा - अरथ गंभीर !
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंआधे अधूरे शब्द भी बहुत कुछ कह जाते हैं।
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