खूबसूरत हैं जिन्दगी
बिलकुल मेरी डायरी सी
शुरूआती पन्ने
बहुत सुन्दर
तमाम रंग..मेरे हाथों से
तो कुछ बड़ो के सहारों से
फिर
ओह्ह...बेहतरीन चटक रंग
लाल गुलाबी पीले नीले
पर सब एक साथ
शायद ज्यादा हो लिए
वरना काले नही पड़ते...
बाद के कुछ पन्ने
कटे फटे ..
मुड़े भी
उफ़ कुछ तो स्याह
एकदम सख्त ..
ये क्या...??
ये पन्ने फिर खाली
एकदम कोरे
ऐसा क्यूँ???
मैं कहाँ थी???
और कुछ पन्ने
तेरे लिए छोड़े हैं
काश कोई कह दे
कि लिख दो
या लिख दूँ??
कुछ पारदर्शी रंगों
तेरा नाम फिर से ....!!!े
आपकी लिखी रचना रविवार 13 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब भाव, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंसही कहा जीवन ऐसे ही एक डायरी की तरह है कहीं खुशनुमा तो कहीं बदनुमा
जवाब देंहटाएंजिंदगी कि डायरी के कुछ पन्ने खुद भी भरने चाहियें ... कुछ अपने आप भर जाते हैं किसी के प्रेम से ...
जवाब देंहटाएंकोरे रह गए पन्नों को यों न छोड़िये ,डायरी आपकी भरनी भी आपको ही....!
जवाब देंहटाएंवाह , प्रभाव छोडती रचना ! बधाई
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhavabhivyakti .aabhar
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जवाब देंहटाएंकभी गर्दिशों से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ
चार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......
antarman ki lahron ko shaant karne ke liye....shabdo ki abhivyakti behtareen hai.......ati sundar..
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