खोज लिया
निरुत्तर
प्रश्न
मैं कौन?
रेखाएं
कहती गई
तस्वीरें
सारी ..
पर
अस्तित्व
कहाँ ??
तू मेरा
और मैं
तेरा
जलती लौ
संग
भड़कता
गया
ये
उद्वेलित
उत्तर ...!!!
निरुत्तर
प्रश्न
मैं कौन?
रेखाएं
कहती गई
तस्वीरें
सारी ..
पर
अस्तित्व
कहाँ ??
तू मेरा
और मैं
तेरा
जलती लौ
संग
भड़कता
गया
ये
उद्वेलित
उत्तर ...!!!
बेहतर तलाश है मैं की ....!
जवाब देंहटाएंशायद
हटाएंसटीक ।
जवाब देंहटाएंअस्तित्व
जवाब देंहटाएंकहाँ ??
बस यही तो सवाल है जिसका उत्तर नहीं मिलता...
पूरा जून शायद आपने इस निरुत्तर प्रश्न के खोज में लगा दिया आशा जी! और वह भी अस्तित्वहीन निकला।
जवाब देंहटाएंवाह, क्या कहना आशा जी! एक संग्रहणीय रचना। आभार !!
बहुत सुन्दर......
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने ...तू मेरा मैं तेरा ...इस अनुपात में सिर्फ मेरा 'मैं' ही ख़त्म होता जाता है ......
जवाब देंहटाएंमैं कहाँ....? बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंइन सब में मैं तो अक्सर खो जाता है ... तू मेरा और मेरे अस्तित्व में खो जाता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा सटीक रचना,,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...:चाय....
मैं कौन?
जवाब देंहटाएंनिरुत्तर प्रश्न.
तू मेरा
और मैं
तेरा
जलती लौ
संग
भड़कता
गया
ये
उद्वेलित
उत्तर ...!!!
सुन्दर दार्शनिक अभिव्यक्ति.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा,आशा जी.
गहन, वैचारिक शब्द संयोजन
जवाब देंहटाएं**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
जवाब देंहटाएं~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
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उम्दा प्रस्तुति के लिए आभार
प्रवरसेन की नगरी प्रवरपुर की कथा
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ आपकी पोस्ट की चर्चा वार्ता पर" ♥
♥शुभकामनाएं♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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बहुत सुन्दर गहन अर्थ की रचना..
जवाब देंहटाएं:-)
गहन भाव .....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ....
...मैं की बेहतर तलाश गहन अर्थ की रचना
जवाब देंहटाएंbhaut hi umda........
जवाब देंहटाएंकमाल की रचना...
जवाब देंहटाएंchad panktiyon me gahri abhivykti----
जवाब देंहटाएंbadhai---bahut hi achhi prastuti ke liye---
poonam
रेखाएं
जवाब देंहटाएंकहती गई
तस्वीरें
सारी ..
पर
अस्तित्व
कहाँ ??
तू मेरा
और मैं
तेरा
bahut khoob!
आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
जवाब देंहटाएंऔर बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है बस असे ही लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये