आज के ही दिन पिछले वर्ष अपने भ्रमित शब्दों को यहाँ पर उकेर दिया था।सौभाग्य वश काफी स्नेह की प्राप्ति हुई।। पुनश्च वही पंक्तिया प्रस्तुत कर रही हूँ ...
कितनी सादगी से टूटा
ये निर्मम दर्पण मेरा
ना टूटने की आवाज हुई
ना कोई दर्द हुआ ...
पर टूट चूका
हर कोना
हर परत ....
बिखर कर मेरे सामने
भले ही ना आया हो
पर टूट चूका
निर्मम दर्पण मेरा ....!!!
कितनी सादगी से टूटा
ये निर्मम दर्पण मेरा
ना टूटने की आवाज हुई
ना कोई दर्द हुआ ...
पर टूट चूका
हर कोना
हर परत ....
बिखर कर मेरे सामने
भले ही ना आया हो
पर टूट चूका
निर्मम दर्पण मेरा ....!!!
टूटा दर्पण कर गया, अर्पण अपना स्नेह ।
जवाब देंहटाएंबोझिल मन आँखे सजल, देखा कम्पित देह ।
देखा कम्पित देह, देखता रहता नियमित ।
होता हर दिन एक, दर्द नव जिस पर अंकित ।
कर पाता बर्दाश्त, नहीं वह काजल छूटा।
रूठा मन का चैन, और यह दर्पण टूटा ।।
सहृदय धन्यवाद सर ...
हटाएंवाह आशा जी....
जवाब देंहटाएंगहन भाव.....
बस हैरान हूँ कि दर्द कैसे नहीं हुआ???
या दर्द के अतिरेक में एहसास न हुआ हो....
अनु
बहुत बहुत धन्यवाद सर ...सादर
जवाब देंहटाएंUf,Chandra labjo me bahut kuchh kah diya aapane.
जवाब देंहटाएंब्लॉग के एक वर्ष होने पर बधाई .... दर्द को छुपना ही उत्तम है ।
जवाब देंहटाएंसादगी पूर्ण लब्जों में खुबशुरती से सब कुछ कहती रचना,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : गीत,
गहन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंइस कविता के भाव, लय और अर्थ काफ़ी पसंद आए। बिल्कुल नए अंदाज़ में आपने एक भावपूरित रचना लिखी है।
जवाब देंहटाएंब्लॉग के एक वर्ष होने पर बधाई ..!!!
जवाब देंहटाएंअदृश्य लगे,पर सत्य है...संजोये चेहरे बिखर गए या कहो रिश्ते !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ब्लॉग व गहन अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंभाव मन छू गए ...
ब्लॉग के एक वर्ष होने पर बधाई..गहन अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंगहरी भाव अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंब्लॉग के एक वर्ष पुरे होने
पर बधाई..
शुभकामनाये...
:-)
दिल टूट गया आवाज़ न हुई ,किरचे इतने यहाँ वहां बिखरे ,किसी को खबर न हुई ....बढ़िया प्रस्तुति ,ब्लॉग की पहली सालगिरह मुबारक .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंदर्पण बहुत ही सीधा था
सादगी से टूट गया
वरना अब तो बस
आवाज आती है
टूटने की कई बार
पर दर्पण टूटता नहीं
ठहाके लगाता है !
टूटना नियति हैं दर्पण कि
जवाब देंहटाएंनिःशब्दता... अकर्मण्यता हो सकती हैं
वरना तो टूटने पर भी हर कोण में परिपूर्ण हैं वो
बधाई ....अलग कहने कि कोशिश हैं
ब्लॉग की पहली सालगिरह पर हार्दिक शुभकामनाएं आशा जी
जवाब देंहटाएंसही कहा चटखने की आवाज़ नहीं होती ...पर कुछ साबित नहीं रह जाता
जवाब देंहटाएंब्लाग की पहली वर्ष गाँठ मुबारक हो एवं इतनी प्यारी रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
जवाब देंहटाएंगहन.... वाह
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंइस समूहिक ब्लॉग में पधारें और हमसे जुड़ें |
काव्य का संसार
छोटी कविता, गहरी बात. सरल शब्द, उत्तम एहसास
जवाब देंहटाएंएक वर्ष पूरा होने पर हार्दिक बधाई आशा जी !
जवाब देंहटाएंसादर
गहन अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंएक वर्ष पूरा होने पर हार्दिक बधाई !!!
सरल शब्दों में बहुत गंभीर बात.
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई आशा जी पहली साल गिरह पर.
बहुत सुंदर पोस्ट। मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं