शब्द ने शब्द जोड़े.. शब्द से शब्द बिखरे.. शब्द -शब्द ने ढूंढें अक्षर.. शब्द- शब्द फिर, शब्दश: खामोश हुए..!
आगाज़ खामोश अंजाम खामोश सफ़र खामोश साथ खामोश फिर शोर क्यूँ??? दफ्न होने में
छह पंक्त्यिों ने बेहतर दर्शन उकेरा है। वाकई जब इतना,ऐसे तो तब.......मौत पर ड्रामा क्यूं?
*पंक्तियों
क्योकि पैरो के निशां बोलते हैं
शायद ..
अनुपम भाव संयोजन ...
बहुत सुन्दर ...
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(25-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।सूचनार्थ!
लाजवाब अभिव्यक्ति | बहुत सुन्दर | आभार कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें | Tamasha-E-ZindagiTamashaezindagi FB Page
लाजवाब ....
वाह.....गहन भाव..अनु
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,, Recent post: जनता सबक सिखायेगी...
waah ......touching ...
heart touching ....
फिर शोर क्यूँ???
येही तो प्रश्न है
बहुत खूब .... यह शोर बाहर का नहीं अंदर का है ।
बेहतरीन....
कमाल है ...शुभकामनायें आपको !
बहुत सुंदरएक बार अवश्य देखें- तौलिया और रूमाल
अनुपम भाव
अर्थपूर्ण ...सब कुछ खत्म हो के भी कहां खत्म होता है कुछ ...
शायद खामोशी की गूंज हो? बहुत सुंदर.रामराम.
शायद इसीसे ग्लानी कुछ कम हो....
बहुत उम्दा.
बहुत खुबसूरत ..........फिल्म शोर की याद आ गई :-)
क्योंकि इस ख़ामोशी के भीतर बहुत शोर छिपा रहता है ....बहुत बढ़िया प्रस्तुति
...वाह! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
बहुत सुन्दर
छह पंक्त्यिों ने बेहतर दर्शन उकेरा है। वाकई जब इतना,ऐसे तो तब.......मौत पर ड्रामा क्यूं?
जवाब देंहटाएं*पंक्तियों
हटाएंक्योकि पैरो के निशां बोलते हैं
जवाब देंहटाएंशायद ..
हटाएंअनुपम भाव संयोजन ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(25-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
लाजवाब अभिव्यक्ति | बहुत सुन्दर | आभार
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Tamasha-E-Zindagi
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लाजवाब ....
जवाब देंहटाएंवाह.....
जवाब देंहटाएंगहन भाव..
अनु
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,,
जवाब देंहटाएंRecent post: जनता सबक सिखायेगी...
waah ......touching ...
जवाब देंहटाएंheart touching ....
जवाब देंहटाएंफिर शोर क्यूँ???
जवाब देंहटाएंयेही तो प्रश्न है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .... यह शोर बाहर का नहीं अंदर का है ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....
जवाब देंहटाएंकमाल है ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंएक बार अवश्य देखें- तौलिया और रूमाल
अनुपम भाव
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण ...
जवाब देंहटाएंसब कुछ खत्म हो के भी कहां खत्म होता है कुछ ...
शायद खामोशी की गूंज हो? बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
शायद इसीसे ग्लानी कुछ कम हो....
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा.
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत ..........फिल्म शोर की याद आ गई :-)
जवाब देंहटाएंक्योंकि इस ख़ामोशी के भीतर बहुत शोर छिपा रहता है ....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति
...वाह! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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