फ़ॉलोअर

शनिवार, 9 सितंबर 2017

@@

वो रिश्ता
जो नाम
के वश
में कैद...
तुमने
मोहब्बत
कह दिया
और मैनें
मान लिया

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (11-09-2017) को "सूखी मंजुल माला क्यों" (चर्चा अंक 2724) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. आशा जी
    आपको इतने दिनों बाद ब्लॉग पर देखकर बहुत खुशी हो रही है....बहुत अच्छा लगा एक अरसे बाद ब्लॉग पढ़ना बेहतरीन फलसफा ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. व्यस्तताऐ सर जीवन की ..उम्मीद है अब क्रम नहीं टूटेगा...

      हटाएं
    2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

      हटाएं
  3. प्रेम में विवाद कहाँ ... सर झुकाना ही सब कुछ है ...

    जवाब देंहटाएं
  4. आशा बिष्ट जी देहरादून कभी जाना होता है मामाजी रहते है हमारे ....सूंदर शहर है बहुत

    जवाब देंहटाएं