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बुधवार, 20 मार्च 2019

Layout

पीछे मुड़कर देखूं जरा तो
जिन्दगी का भी layout
सा कुछ दिखता है

लगता है इस कोने का
उस कोने रख दिया
निकाल शोर से
सन्नाटे में छुपा लिया

ओह्ह ___देखो वहां पर जरा
चटक लाल रंग रह गया

Hmm,____ पीला मुरझाया -सा
(निश्चित थी कि सूखा न था)
पत्ता...!!
हां वही ,__
उसे भी सहेज लिया

पर वो "रिश्ते"
वाला हिस्सा
संवर रहा है अभी भी
बस जरा जरा सा .....!!!
(Asha Bisht )

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब ...
    लाजवाब रचना ... ये रिश्ते ही नहीं संवर पाते उम्र भर ... लगता है कुछ कमी अभी भी रह जाती है ... बहुत भावपूर्ण रचना ...

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  2. आवश्यक सूचना :

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  3. याद रखने लायक रचना... शुभकामनायें !!

    जवाब देंहटाएं
  4. "बस जरा जरा सा", बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं