पीछे मुड़कर देखूं जरा तो
जिन्दगी का भी layout
सा कुछ दिखता है
लगता है इस कोने का
उस कोने रख दिया
निकाल शोर से
सन्नाटे में छुपा लिया
ओह्ह ___देखो वहां पर जरा
चटक लाल रंग रह गया
Hmm,____ पीला मुरझाया -सा
(निश्चित थी कि सूखा न था)
पत्ता...!!
हां वही ,__
उसे भी सहेज लिया
पर वो "रिश्ते"
वाला हिस्सा
संवर रहा है अभी भी
बस जरा जरा सा .....!!!
(Asha Bisht )
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना ... ये रिश्ते ही नहीं संवर पाते उम्र भर ... लगता है कुछ कमी अभी भी रह जाती है ... बहुत भावपूर्ण रचना ...
आवश्यक सूचना :
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याद रखने लायक रचना... शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएं"बस जरा जरा सा", बहुत खूब
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