क्षण-क्षण में भूलूँ
आती जाती यादों को
अवाक् सी मैं ..
कुछ द्वंदों में झूलती
प्रतिरूप को खोजती
पथ से पग-पग
भ्रमित होती मैं..
दुःख ना जानू तेरे
पीड़ा ना समझूं उसकी
क्या है आना-जाना ,बस
निश्चेत सी मैं..
कुछ सन्नाटों को बिखेरू
कुछ ठिठोली में गूँज जाऊं
ध्वनि- प्रतिध्वनि के बीच
मूक सी मैं..
ना सहेज संकू मन मस्तिष्क
ना ही संवेदनाओं का
आदान- प्रदान
बस क्षणिक
निर्वात सी मैं...!!
शून्य की सी स्थिति को कहती अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना , बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे भाव !
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना !
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
ना सहेज संकू मन मस्तिष्क
जवाब देंहटाएंना ही संवेदनाओं का
आदान- प्रदान
बस क्षणिक
निर्वात सी मैं...!!
अतिसुन्दर बधाई की परिधि से बाहर .....
गहरी भावनाएं....
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतिकरण।
बहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर
अच्छी भावपूर्ण रचना...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत ही अच्छा लिखा है .
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना का शिल्प और भाव मन को आकर्षित करते हैं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंना सहेज संकू मन मस्तिष्क
जवाब देंहटाएंना ही संवेदनाओं का
आदान- प्रदान
बस क्षणिक
निर्वात सी मैं...!! bhaut hi sundar aur sarthak bhaav....
बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव दिए है आपने
कुछ सन्नाटों को बिखेरू
जवाब देंहटाएंकुछ ठिठोली में गूँज जाऊं
ध्वनि- प्रतिध्वनि के बीच
मूक सी मैं..
अति सुंदर, जीवन की धूप-छाँव.
सबसे पहले हमारे ब्लॉग 'खलील जिब्रान' पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.........आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...........पहली ही पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब...........आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे|
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
कशमकश से आगे..मैं।..बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंकुछ सन्नाटों को बिखेरू
जवाब देंहटाएंकुछ ठिठोली में गूँज जाऊं
वाह!! सुन्दर रचना....
सादर...
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है !
जवाब देंहटाएंबेहद नाजुक अहसास को पिरोया है आपने इस कविता में... सुन्दर सी प्यारी सी रचना के लिए आभार और बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत रचना..बेहद नाजुक अहसास..अभिव्यंजना मे आप का स्वागत है..
जवाब देंहटाएंSundar rachna...
जवाब देंहटाएंअहसासों से भरी प्यारी सुंदर रचना,लाजबाब पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंआप सभी जनों का हार्दिक धन्यवाद ....
जवाब देंहटाएंpal-pal mai ......
जवाब देंहटाएंnirvat si mai.
Sundar abhiviyakti
very impressive poem! congrats!
जवाब देंहटाएंअपने आपको टटोलती सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंदुःख ना जानू तेरे
जवाब देंहटाएंपीड़ा ना समझूं उसकी
क्या है आना-जाना ,बस
निश्चेत सी मैं..
आत्मविश्लेषण की तरफ ले जाती रचना ...!
very beautiful n nice poem...
जवाब देंहटाएंआशा जी,
जवाब देंहटाएंसुंदर अहसासों सजी बेहतरीन रचना,
मेरे नए पोस्ट में आइये स्वागत है..
यह तो बहुत ही अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंवैसे 'मैं' की यही नियति है। 'मैं' न रहे तो समस्या ही न रहे।