[१]
हर पल की परछाई
आ घेर ले मुझे
अब न कोई तमन्ना
अब न कोई कसक
रह सका अब मेरे मन में
सिर्फ दर्द.......
वो भी थोडा सा...
[२]
कह दिया फरिश्तों से
अब रहमो करम कम कर
इन मेहरबानियों को
रखूं तो कहाँ रखूं...
[३]
हम रिश्तों के समन्दर में
झाग बन कर रह गए
गहराइयां जब बढती गई
शुक्र है डूबने से तो बच गए.....
हर पल की परछाई
आ घेर ले मुझे
अब न कोई तमन्ना
अब न कोई कसक
रह सका अब मेरे मन में
सिर्फ दर्द.......
वो भी थोडा सा...
[२]
कह दिया फरिश्तों से
अब रहमो करम कम कर
इन मेहरबानियों को
रखूं तो कहाँ रखूं...
[३]
हम रिश्तों के समन्दर में
झाग बन कर रह गए
गहराइयां जब बढती गई
शुक्र है डूबने से तो बच गए.....
हम रिश्तों के समन्दर में
जवाब देंहटाएंझाग बन कर रह गए
गहराइयां जब बढती गई
शुक्र है डूबने से तो बच गए.....
कशक..... कसक *
सुंदर भावों से ओत प्रोत रचनाएं .....!
केवल जी सचेत करने के लिए ...आभार
जवाब देंहटाएंएवं टिप्पणी रूपी प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार....
हम रिश्तों के समन्दर में
जवाब देंहटाएंझाग बन कर रह गए
गहराइयां जब बढती गई
शुक्र है डूबने से तो बच गए.....
लाजवाब पंक्तियाँ हैं।
सादर
बहुत खूब,,,,सुन्दर
जवाब देंहटाएंhttp://www.poeticprakash.com/
सुंदर मुक्तक।
जवाब देंहटाएंसुंदर और सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंटी0वी0100 ब्लॉग पर आपका स्वागत है। इस ब्लॉग में योगदान(लिखने) देने के लिए
अपना ई-मेल पता, हमारे इस ई-मेलपते tv100news@gmail.com पर भेजें।
सुंदर!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंढेरो सुभकामनाएँ
कह दिया फरिश्तों से
जवाब देंहटाएंअब रहमो करम कम कर
इन मेहरबानियों को
रखूं तो कहाँ रखूं... बहुत ही बढ़िया
तीनो ही बाते बहुत ही अच्छी है..
जवाब देंहटाएं.हम रिश्तों के समन्दर में
झाग बन कर रह गए
गहराइयां जब बढती गई
शुक्र है डूबने से तो बच गए.....
खासकर यह बात तो बहुत ही जादा अच्छी है...
कह दिया फरिश्तों से
जवाब देंहटाएंअब रहमो करम कम कर
इन मेहरबानियों को
रखूं तो कहाँ रखूं..
अत्यंत ही भावपूर्ण प्रस्तुति...शुभकामनायें !!
बहुत सही लिखा है ..अच्छी क्षणिकाएँ
जवाब देंहटाएंयशवंत जी
जवाब देंहटाएंप्रकाश जी
अतुल जी
अनुपमा जी
संतोष जी
रश्मि जी
रीना जी
डिमरी जी
संगीता जी
और tv १०० आप सभी का हार्दिक आभार....
हम रिश्तों के समन्दर में
जवाब देंहटाएंझाग बन कर रह गए
गहराइयां जब बढती गई
शुक्र है डूबने से तो बच गए.....bahut khub.
वाह! बहुत ही सुन्दर लिखतीं हैं आप,आशा जी.
जवाब देंहटाएंहलचल में आपकी प्रस्तुति देख बहुत ही खुशी मिली.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है.
Very impressive Poem! Congrats!
जवाब देंहटाएं@अब रहमो करम कम कर
जवाब देंहटाएंइन मेहरबानियों को
रखूं तो कहाँ रखूं...
बहुत खूब!
(2) सबसे अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखा है .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर क्षणिकाएँ ...
जवाब देंहटाएंआशा जी,..
जवाब देंहटाएंभाव पूर्ण सुंदर क्षनिकाएं प्यारी पन्तियाँ,...बधाई
मेरी नये पोस्ट "प्रतिस्पर्धा"में इंतजार है,.....
बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंआप की रचना बड़ी अच्छी लगी और दिल को छु गई
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर रचनाये मैं बड़ी देर से आया हु आपका ब्लॉग पे पहली बार आया हु तो अफ़सोस भी होता है की आपका ब्लॉग पहले क्यों नहीं मिला मुझे बस असे ही लिखते रहिये आपको बहुत बहुत शुभकामनाये
आप से निवेदन है की आप मेरे ब्लॉग का भी हिस्सा बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
behad bhaavpurn.
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आइये इंतजार है,...
जवाब देंहटाएंमैं दिनेश पारीक आज पहली बार आपके ब्लॉग पे आया हु और आज ही मुझे अफ़सोस करना पद रहा है की मैं पहले क्यूँ नहीं आया पर शायद ये तो इश्वर की लीला है उसने तो समय सीमा निधारित की होगी
जवाब देंहटाएंबात यहाँ मैं आपके ब्लॉग की कर रहा हु पर मेरे समझ से परे है की कहा तक इस का विमोचन कर सकू क्यूँ की इसके लिए तो मुझे बहुत दिनों तक लिखना पड़ेगा जो संभव नहीं है हा बार बार आपके ब्लॉग पे पतिकिर्या ही संभव है
अति सूंदर और उतने सुन्दर से अपने लिखा और सजाया है बस आपसे गुजारिश है की आप मेरे ब्लॉग पे भी आये और मेरे ब्लॉग के सदशय बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद
दिनेश पारीक
तीनो खूबसूरत!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंदिनांक 28/07/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर