शब्द ने शब्द जोड़े.. शब्द से शब्द बिखरे.. शब्द -शब्द ने ढूंढें अक्षर.. शब्द- शब्द फिर, शब्दश: खामोश हुए..!
behtareen kavita likhee hai aapne badhai
बहुत सुन्दर.... नए ब्लॉग www.mranazad.blogspot.com मे स्वागत है आपका !!!!!
aur sannaataa kaatne ko daudtaa hai....sundar rachnaa
गहरे भाव।
गहन अभिवयक्ति........
कम शब्दों में अधिकाधिक अभिव्यक्त करने की शैली. अति सुन्दर.
सुन्दर अभिव्यक्ति सुन्दर विचार गहरे भाव
बोलता सन्नाटा....गहरे भाव!.....बसंत पंचमी की शुभकमनाएं
हकीकत में आपकी कवितायेँ 'जैसे पत्थर फैक दे - कोई भरे तालाब में' चरितार्थ करती है. अति सुन्दर.
गहन भाव!
आपकी पंक्तियाँ गूंजता-सा सन्नाटा है! अच्छी लगी, सधन्यवाद!
behtareen kavita likhee hai aapne badhai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंनए ब्लॉग www.mranazad.blogspot.com मे स्वागत है आपका !!!!!
aur sannaataa kaatne ko daudtaa hai....sundar rachnaa
जवाब देंहटाएंगहरे भाव।
जवाब देंहटाएंगहन अभिवयक्ति........
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में अधिकाधिक अभिव्यक्त करने की शैली. अति सुन्दर.
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुन्दर विचार गहरे भाव
बोलता सन्नाटा....गहरे भाव!.....बसंत पंचमी की शुभकमनाएं
जवाब देंहटाएंहकीकत में आपकी कवितायेँ 'जैसे पत्थर फैक दे - कोई भरे तालाब में' चरितार्थ करती है. अति सुन्दर.
जवाब देंहटाएंगहन भाव!
जवाब देंहटाएंआपकी पंक्तियाँ गूंजता-सा सन्नाटा है! अच्छी लगी, सधन्यवाद!
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