कुछ टूटा
कुछ टूटा फिर से..
ना जाने क्या था
क्या बुना था धीरे-धीरे
मन ने सोच कर तुम्हें
दर्द था,निकल आया
रोके से ना रुका....बस
बहता गया तमाम सिलवटें लिए...!
आये वो कुरेदने
तीखे- तीखे शब्दों से
मन था मेरा संभल गया
टूटना था जिसे जार-जार
वो टूट गया...!!!!
मन ने सोच कर तुम्हें
जवाब देंहटाएंदर्द था,निकल आया
रोके से ना रुका....बस
बहता गया तमाम सिलवटें लिए...!
sundar...marmik...
मार्मिक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसच है जब भी दर्द बहार आता है कोई न कोई उसे अपने शब्दों से कुरचने ज़रूर चला आता है सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंpallvi ji aap pahli baar mere blog par aayi aur sneh roopi comment diya...aapka abhar..
हटाएंशांत भाव से कितना कुछ कह दिया -
जवाब देंहटाएंआये वो कुरेदने
तीखे- तीखे शब्दों से
मन था मेरा संभल गया
टूटना था जिसे जार-जार
वो टूट गया...!!!!
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
आपको लोहड़ी की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
जवाब देंहटाएं----------------------------
कल 13/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत बढ़िया लिखा है |
जवाब देंहटाएं....बहता गया तमाम सिलवटें लिए...!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना...बधाई स्वीकारें .
नीरज
बहुत ही सुन्दर और मार्मिक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंआप सभी जनों का सादर आभार
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर व गहरे भाव.
जवाब देंहटाएंमार्मिक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंदर्द की भी आदत सी हो गई है
हमें जब से मोहब्बत सी हो गई है !
बहुत सुन्दर, बधाई.
जवाब देंहटाएंअंतर्व्यथा को अभिव्यक्त करती एक सुन्दर प्रस्तुति. आभार !
जवाब देंहटाएंकुछ टूटा फिर से..
जवाब देंहटाएंना जाने क्या था
क्या बुना था धीरे-धीरे
मन ने सोच कर तुम्हें
दर्द था,निकल आया
रोके से ना रुका....बस
बहता गया तमाम सिलवटें लिए...!
मन को छूती , मार्मिक रचना
चंद पंक्तिया.....भावों से नाजुक शब्द........
जवाब देंहटाएंsanvedna se bhri ek pyaari si rachna....bdhai sweekaren....
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
आये वो कुरेदने
जवाब देंहटाएंतीखे- तीखे शब्दों से
मन था मेरा संभल गया
टूटना था जिसे जार-जार
वो टूट गया...!!!!
बहुत सुंदर मार्मिक प्रस्तुति,
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंलोहड़ी पर्व की शुभकामनाएँ!
sir.. apki upsthiti ne mere blog ki garima badai hai...abhar..
हटाएंमन को छूती , मार्मिक रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लिखा है आपने ...
जवाब देंहटाएंaap pahli baar mere blog par aayi apka abhar...
हटाएंdard bhi dheere dheere...tootan bhi dheere dheere...maarmik abhivyakti.
जवाब देंहटाएंapka comment darshata hai ki aapka mann kitna komal hai...
हटाएंbhaavnaoN ko yooN shabdoN meiN padhnaa
जवाब देंहटाएंbahut achhaa lagaa ...
sundar rachnaa !
behtareen rachna | bahut kuchh kah diya aapne kam shabon me hi.
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti
जवाब देंहटाएंpahlee baar aapkaa blog dekhaa
जवाब देंहटाएंsundar rachnaayein badhaayee
sir...aap aaye apka abhar...
हटाएंसंवेदनशील भाव ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
सुन्दर गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,बढ़िया मार्मिक अभिव्यक्ति रचना अच्छी लगी.....
जवाब देंहटाएंnew post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....
यह रचना अपनी एक अलग विषिष्ट पहचान बनाने में सक्षम है।
जवाब देंहटाएंअच्छी अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
आये वो कुरेदने
जवाब देंहटाएंतीखे- तीखे शब्दों से
मन था मेरा संभल गया
टूटना था जिसे जार-जार
वो टूट गया...!!!!
सुंदर गहन अभिव्यक्ति.
शुभकामनायें.
बहुत ही उत्तम रचना|मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंवाह ..
जवाब देंहटाएंआये वो कुरेदने
जवाब देंहटाएंतीखे- तीखे शब्दों से
बहुत सुंदर रचना॥
कुछ अलग सी रचना...बहुत ही सुन्दर |
जवाब देंहटाएंआपके हर पोस्ट नवीन भावों से भरे रहते हैं । पोस्ट पर आना सार्थक हुआ। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंटूटने वाली चीजें अक्सर टूट जाती हैं ... और दर्द बह जाए तो हल्का हो जाता है मन ...
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता |
जवाब देंहटाएंआये वो कुरेदने
जवाब देंहटाएंतीखे- तीखे शब्दों से
मन था मेरा संभल गया
टूटना था जिसे जार-जार
वो टूट गया...!!!!
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट "हो जाते हैं क्यूं आद्र नयन" पर आपके बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी ।
अच्छी प्रस्तुति,बहुत सुंदर कविता बेहतरीन पोस्ट....
जवाब देंहटाएंnew post...वाह रे मंहगाई...
tutna judna chalta rahta hai...
जवाब देंहटाएंpar man ke andar khubsurat bhaw sanjona badi baat hai:)
सुन्दर भावपूर्ण रचना!
जवाब देंहटाएंआये वो कुरेदने
जवाब देंहटाएंतीखे- तीखे शब्दों से
मन था मेरा संभल गया
टूटना था जिसे जार-जार
वो टूट गया...!!!!
bahut hi achha likha hai apne ....bilkul lajabab .....sadar abhar.
बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंदर्द रिसते-रिसते ढरक जायेगा मगर हाय! दृश्यमान हो जायेगा।
जवाब देंहटाएं..बहुत सुंदर लिखा है आपने।
आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "धर्मवीर भारती" पर आपका सादर आमंत्रण है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंvikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........