पहाड़ और नारी का
कभी सुन्दर,कभी नीरस
कभी खिला, कभी उजड़ा
कुछ सख्त मन एक समान
कितना कुछ समेटे हुए
कुछ सीमायें हैं दोनों की
समान अस्तित्व की लकीरें
हर कठोर प्रहार सह लें
हर अपनत्व को पहचान लें
पर टूटे जब दोनों
बिखर जाएँ कण-कण में
अपने से बाहर निकल आओ
थमकर,एकटक देखकर
पहचान लो जरा क्या है ये
पहाड़ और....और नारी....!
अपने से बाहर निकल आओ
जवाब देंहटाएंथमकर,एकटक देखकर
पहचान लो जरा क्या है ये
पहाड़ और....और नारी....!
पहाड़ और नारी को संदर्भित करते हुए आपने एक सार्थक बिम्ब प्रस्तुत किया है ......!
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंऔर दोनों ही अपने ऊँचा होने का कोई दंभ नहीं पालते...
बहुत अच्छे भाव आशा जी..
कुछ सख्त मन एक समान
जवाब देंहटाएंकितना कुछ समेटे हुए
कुछ सीमायें हैं दोनों की
समान अस्तित्व की लकीरें... बेहद सार्थक
गहरा विश्लेषण।
जवाब देंहटाएंसुंदर।
नारी को धरती के रूप में देखा जाता है...पहाड़ के रूप में देखना नारी की महानता को सटीक रूप से दर्शा गया,आपकी इस सोच के लिए बधाई|
जवाब देंहटाएं'हर कठोर प्रहार सह लें
जवाब देंहटाएंहर अपनत्व को पहचान लें'.
शायद सहनशक्ति ही स्त्रीत्व व मातृत्व की पहिचान है.
हर कठोर प्रहार सह लें
जवाब देंहटाएंहर अपनत्व को पहचान लें
पर टूटे जब दोनों
बिखर जाएँ कण-कण में
बेहतरीन भाव संयोजन लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
हर कठोर प्रहार सह लें
जवाब देंहटाएंहर अपनत्व को पहचान लें
पर टूटे जब दोनों
बिखर जाएँ कण-कण में
बहुत सुंदर भावाव्यक्ति ,बधाई
वाह!!!!!आशाजी बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंWELCOM TO MY NEW POST ...सम्बोधन...
बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंशिव रात्रि पर हार्दिक बधाई..
सुंदर अभिव्यक्ति.......॥
जवाब देंहटाएंपहाड़ और नाई जेवण ... गज़ब का सामजस्य स्थापित किया है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है ....
कभी सुन्दर,कभी नीरस
जवाब देंहटाएंकभी खिला, कभी उजड़ा
ekdam sahi tulna.....
बेहतरीन प्रस्तुति.......
जवाब देंहटाएंहर कठोर प्रहार सह लें
जवाब देंहटाएंहर अपनत्व को पहचान लें
पर टूटे जब दोनों
बिखर जाएँ कण-कण में
.....बहुत ही प्प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति !
उत्साहवर्धक प्रस्तुति सकारात्मकता बिखेरती सी .
जवाब देंहटाएंक्षमा
जवाब देंहटाएंआशा बहन
आपके ब्लाग से एक फोटो लिया है
अनुमति की प्रत्याशा में
बहुत सटीक उपमा ... सुंदर प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंहर कठोर प्रहार सह लें
जवाब देंहटाएंहर अपनत्व को पहचान लें
पर टूटे जब दोनों
बिखर जाएँ कण-कण में...
...
सुंदर कविता !
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसुन्दर तुलना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
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