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शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

कुछ और ...

मन बैचेन है कभी कभी कविताओं से भटक जाता है....विषम पर्वतीय परिस्थितिया जीना सीखा देती है 
उनमें से कुछ प्रेरणा स्रोत  ये भी हैं...
(ब्रह्मकमल)
                                                           पंखुड़ियों में रंग 
                                     साधारण ही सही 
                                      पर सीखा ही देते हैं
                                    निष्ठुर परिस्थितियों 
                                      में सृजन .... 
(बुरांश)
                                                            रंग तुम्हारा 
                                      जीने की सीख देता है
                                      समर्पण सम्पूर्णता से
                                      भले ही... 
                               संसार हो सुनसान,निर्जन ..
(बुरांश और  फ्यूंली)
                                                      पहाड़ी लोककथाएं
                                   अपूर्ण हैं तुमसे
                                   तुम्हारे त्याग बलिदान को
                                   शत-शत नमन.... 

 {{{ब्रह्मकमल ऊचाई पर पायी जानी वाली वनस्पति है...और जब बुरांश जंगलों में खिलाता है है तो ऐसा प्रतीत
   होता है की प्रकृति संवाद कर रही हो......फ्यूंली बसंतागमन का संकेत .......}}}
          
 

30 टिप्‍पणियां:

  1. पंखुड़ियों में रंग
    साधारण ही सही
    पर सीखा ही देते हैं
    निष्ठुर परिस्थितियों
    में सृजन ....
    और बनाना अपनी पहचान !

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  2. ये खिले हुए फूल हमारे प्रेरणास्रोत बन जाते हैं...सही कहा आपने.

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  3. चित्र शब्दों क बयाँ कर रहे है.... या शब्द चित्र को बयाँ कर रहे है.... पर जो भी दिल के सारे एहसास उकेर कर शब्दों में आ गए है......

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  4. बहुत सुंदर रचना.......
    प्रकृति के रंग सारे उतर आये आपके चंद लफ़्ज़ों में...

    बढ़िया!!!!

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर रचना.......
    प्रकृति के रंग सारे उतर आये आपके चंद लफ़्ज़ों में...

    बढ़िया!!!!

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  6. इन दुर्लभ फूलों के माध्यम से प्रकृति के आनन्दमय सौंदर्य का अनोखा रूप दिखाया आपने !

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  7. खुबसूरत फूल और उनसे जुडी जानकारी व कविता ।

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  8. rachna sundar hai par usse khoobsurat hai in foolon ki tasveeren.... Mera pahaad, tumhara pahaad humara pahaad....aseem sundarata samete hai khud me!

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  9. रंग तुम्हारा
    जीने की सीख देता है
    समर्पण सम्पूर्णता से
    भले ही...
    संसार हो सुनसान,निर्जन ..
    अनुपम भाव संयोजन इन पंक्तियों में ।

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  10. वाह ………सुन्दर भाव संयोजन्।

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  11. सच है इस प्राकृति में ... जीवन में ऐसा बहुत कुछ है जो बदल देता है परिस्थितियों कों ... सुन्दर शब्द ...

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  12. हर पंक्ति बहुत सुन्दर भाव समेटे है .... ..आभार एवं शुभ कामनायें !

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  13. वाह आशाजी ...कम शब्दों में गहरे भाव उकेर दिए ...बहुत सुन्दर

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  14. गहरे भाव सुन्दर संयोजन्।.
    आभार एवं शुभ कामनायें !

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  15. रंग तुम्हारा
    जीने की सीख देता है
    समर्पण सम्पूर्णता से
    भले ही...
    संसार हो सुनसान,निर्जन

    gahan bhavo se paripoorn prabhavshali rachana ....badhai ke sath hi aamantran bhi

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  16. कल 27/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  17. prakrati hi jeevan hai uske rangon me hi sukhdukh ki chhaya.
    bahut gahan abhivyakti.bahut sundar.

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  18. बहुत मनभावन झलकियों के साथ सुन्दर सार्थक रचना
    आजकल तो बुरांश के फूलों की छटा देखती ही बनती हैं ..

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  19. धन्यवाद आपने मेरे ब्लॉग पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाया |

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  20. सारगर्भित रचना । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  21. पुष्पों के माध्यम से सहज जीवन दर्शन, वाह !!!!!!!

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  22. बहुत ही सुन्दर प्रकृति के सारे रंग समेटे बहुत सुन्दर रचना....

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  23. प्रकृति का सन्देश और तरीके दोनों ही अनूठे है. फूले के माध्यम से कही गयी सुंदर रचना.

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