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सोमवार, 19 नवंबर 2012

खोजती हूँ ..

इन तहों में 
ख़ामोशी क्यूँ इतनी 
मैं तो सिर्फ  
मेरे होने को खोजती हूँ ..

दो दरवाजों के पीछे 
हंसा क्यूँ मन इतना 
भीड़ में गूंज है कहाँ ...?
खोजती हूँ ...

तेरे होने से 
ठहराव है मुझमे 
पर इश्क है कहाँ ...?
खोजती हूँ ... 

17 टिप्‍पणियां:

  1. यह तलाश जल्द ही पूरी हो .... सुंदर अभिव्यक्ति

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  2. वाह ... अनुपम भाव लिये उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  3. जो पाया सब अपने भीतर पाया....
    बहुत सुन्दर....

    अनु

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  4. तेरे होने से
    ठहराव है मुझमे
    पर इश्क है कहाँ ...?
    खोजती हूँ ...

    बहुत सुंदर भाव ......
    इसी खोज से उपजती है इतनी सुंदर कविता .....

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  5. तेरे होने से
    ठहराव है मुझमे
    पर इश्क है कहाँ ..
    खोजती हूँ ... वाह बहुत सुंदर भाव,,,

    recent post...: अपने साये में जीने दो.

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  6. तेरे होने से
    ठहराव है मुझमे
    पर इश्क है कहाँ ...?
    खोजती हूँ ...

    बहुत ही सुन्दर ।

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  7. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.......

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  8. शायद बहुत से लोग इसी खोज में होंगे..... :)
    बहुत खूबसूरती से बयान किया है आपने इस अनोखी खोज को...
    ~सादर !!!

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  9. खूबसूरत भावपूर्ण रचना
    अरुन शर्मा - www.arunsblog.in

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  10. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई ......

    जवाब देंहटाएं
  11. खोजती हूँ ..

    इन तहों में
    ख़ामोशी क्यूँ इतनी
    मैं तो सिर्फ
    मेरे होने को खोजती हूँ ..

    दो दरवाजों के पीछे
    हंसा क्यूँ मन इतना
    भीड़ में गूंज है कहाँ ...?
    खोजती हूँ ...

    तेरे होने से
    ठहराव है मुझमे
    पर इश्क है कहाँ ...?
    खोजती हूँ ...

    बहुत सुन्दर रचना है .

    जवाब देंहटाएं
  12. "तेरे होने से
    ठहराव है मुझमे
    पर इश्क है कहाँ ...?
    खोजती हूँ ... "

    जवाब देंहटाएं
  13. वाह कमाल का लि‍खा है आपने। आपकी लेखनी की कायल तो पहले से ही थी मगर बीच के दि‍नों में सि‍लसिला टूट सा गया था। एक बार फि‍र जुड़कर अच्‍छा लग रहा है। लाजवाब 

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